अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो, कि दास्ताँ आगे और भी है अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो ! अभी तो टूटी है कच्ची मिट्टी ,अभी तो…
अथक गति से मार्ग पर बढ़ता चलूँ यह साधना दो ! सजग अम्बर में अरुण सा रश्मि ले चढ़ता चलूँ यह कामना दो …
टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर झरे सब पीले पात , कोयल की कुहुक् रात प्राची …
कभी पाबंदियों से छूट के भी दम घुटने लगता है दरो– दीवार हो जिनमें वही जिंदा नहीं होता ! हमारा ये तज़ुर्बा है कि…
अफ़सोस नहीं इसका हमको , जीवन में हम कुछ कर न सके , झोलियाँ किसी की भर न सके , संताप किसी का हर न …